सूरत के रहने वाले एक मार्बल कारोबारी के पुनर्जन्म की कहानी कोई अंधविश्वास नही बल्कि मेडिकल साईंस के करिश्माई बदलाव की कहानी है। अब लोग उन्हीं से उनका पता पूछते हैं। यकीन दिलाने पर लोग हैरतभरी नजर से उन्हे देखते हैं और बडी मुश्किल से उनके कहे का भरोसा करते हैं।
हैरान करने वाली ये कहानी है सूरत जिले के बारडोल कस्बे के रहने वाला मार्बल व्यापारी धर्मेन्द्र मुंदडा की है। रुपया-पैसा और शानो-शौकत के बावजूद बीते 25 सालों से उनका जीवन बदहाल था। मोटरसायकल उनकी बैसाखी बन चुकी थी। ना वो 10 कदम चल पाते थे और ना ही जमीन पर बैठ पाते थे। कारोबार के वक्त हर कभी नींद तो कभी चक्कर आने लगता था। ब्लड प्रेशर, घुटनों और कमर में दर्द से पूरे-पूरे दिन कराहना आम हो चुका था। थोडी देर खडे रहनेभर से पैरों में इस कदर सूजन आ जाती थी कि पैर हाथी की तरह मोटा हो जाता था। 10 से ज्यादा बार अहमदाबाद में आपरेशन करा चुके मुंदडा इस परेशानी से निराश हो चुके थे। मोटापा इस कदर बढा हुआ था कि जूते तक पहनते नही बनता था। पत्नी को जूते पहनाना पडते थे। 10 मीटर की दूरी भी बाईक के सहारे त करना पडती थी। एक सर्जरी ने उन्हे जीवनदान दे दिया। वो खुद मानते हैं कि सर्जरी के बाद उन्हे पुनर्जन्म मिला है। बेरियाट्रिक सर्जरी के बाद महज 6 महिनों में मुंदडा ने 40 किलो वजन घटाया है।
52 साल के धर्मेन्द्र मुंदडा की शादी आज से करीब 30 साल पहले हुई थी। शादी के वक्त मुंदडा आम दुल्हों की तरह ही फिट-फाट थे। मीठे के शौकिन मुंदडा का वजन धीरे-धीरे बढते गया। 15 साल से उनका वजन 120 किलो से ज्यादा ही रहने लगा था। मोटापे से उन्हे तमाम सारी बीमारियों ने घेर लिया था। चलने-फिरने, उठने-बैठने से मोहताज मुंदडा को मोटापे की वजह से ना सिर्फ परेशानियां उठाना पडी बल्कि सामाजिक तौर पर भी उन्हे शर्मिंदगी महसूस करना पडती थी। 15 सालों से उन्होने पेंट पहनना बंद कर दिया था। जहां जाते थे लोग उन्हे पलट-पलट कर देखते थे। 14 मई 2017 उन्होने इंदौर के मोहक हास्पीटल में ख्यातनाम बेरियाट्रिक सर्जन मोहित भंडारी से सर्जरी कराई। सर्जरी के तीन-चार दिनों बाद से ही मुंदडा के शरीर मे जो बदलाव आया उसे महसूस कर उनकी आंखे फटी की फटी रह गई। मुंदडा अब 25 साल पहले पंहुच चुके हैं। जिंदगी की खत्म हो चुकी ख्वाहिशों को मुंदडा अब पूरे जोश-खरोश के साथ पूरा कर रहे हैं।