डॉक्टर के भेष में मिले भगवान
जिस जीवन में नीरसता थी अब उसी में तरह-तरह के रस भर चुके हैं। बुझी हुई जिंदगी अब रंगों से भर गई है। सच बताऊं तो डॉक्टर के भेष में मिले भगवान ने मुझे नया जीवन दे दिया है।
अंतरात्मा की ये आवाज है सूरत जिले के डूंगरा गांव की रहने वाली 54 वर्षीय नयना बेन की। नयना बेन की आंखों की चमक देख कर उनकी खुशी का अंदाजा लगाया जा सकता है। नयना बेन अपने मोटापे से बुरी तरह परेशान हो चुकी थीं। उनका वजन 95 किलोग्राम हो चुका था। मोटापे के कारण उनका चलना-फिरना, उठना-बैठना मुश्किल हो गया था। घुटनों में दर्द के मारे चीख निकलती थी। थोडा चल भी लिया तो सांसे फूलने लगती थी। ब्लड प्रेशर और थायराइड की परेशानी थी। मोटापे की वजह से खुद को सामाजिक जिंदगी से अलग कर लिया था। कपडे कुछ ही महिनों में तंग होने लगते थे। घर का काम जैसे-तैसे खुद को जबरन घिस-घिस कर करना पडता था। मोटापे के कारण लोग देखते तो शर्म महसूस होती थी। 15 साल पहले गर्भाशय के आपरेशन के बाद से ही उनका वजन बढना शुरु हुआ था। मोटापा दूर करने के लिये हर तरह की कोशिशें की लेकिन कोई असर नही हुआ। किसी भी परेशानी को लेकर डॉक्टर्स के पास जाते तो पहले वजन घटाने की बात की जाती थी।
उनके कुछ परिचितों ने बेरियाट्रिक सर्जरी के बाद मोटापे से छुटकारा पा लिया था। इसी के चलते उन्होने भी यह सर्जरी कराने के बारे में सोचा। नयना बेन कहती है कि इंदौर के डॉ मोहित भंडारी का नाम सबसे भरोसे का नाम मिला। 1 मई 2017 में मोहक बेरियाट्रिक सेंटर पर सर्जरी हुई। सर्जरी के बाद महज 6 महीने में 32 किलो वजन घटाने के बाद लगने लगा कि नया जीवन मिल गया है। अब वो सारे कामकाज दौड-दौड कर पूरा कर लेती हैं। ना बीपी की परेशानी है ना चलने में सांस फूलती है। घुटनों का दर्द को काफूर हो गया। नयना बेन की आंखों में खुशियों के आंसू है वो बस इतना कहती है कि मोहित भंडारी डॉक्टर के भेष में उनके लिये भगवान साबित हुए हैं।